विटामिन ए का रासायनिक नाम Chemical Name of Vitamin A
विटामिन ए का रासायनिक नाम Chemical Name of Vitamin A
हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत - बहुत स्वागत है, इस लेख विटामिन ए का रासायनिक नाम (Chemical Name of Vitamin A) में। दोस्तों यहाँ पर आप विटामिन ए क्या है? विटामिन ए का रासायनिक नाम, विटामिन ए की दैनिक आवश्यकता,
विटामिन ए की कमी से रोग, विटामिन ए की अधिकता से रोग, विटामिन ए के कार्य समझाये है, तो आइये शुरू करते है, यह लेख विटामिन ए का रासायनिक नाम:-
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विटामिन ए क्या है What is Vitamin -A
विटामिन ए वसायुक्त खाद्य पदार्थों में पाया जाने वाला एक प्रकार से कार्बनिक यौगिक होता है, जिसे रेटिनोल (Retinol) के नाम से भी जाना जाता है। साधारण तौर पर हमारा शरीर विटामिन ए रेटिनोल या फिर कैरोटीन (Carotene) के रूप में ग्रहण करता है, जिसमें रेटिनोल पशुओं से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों से मिलता है, जबकि वनस्पति खाद्य पदार्थों से कुछ लाल पीले रंग के वर्णक (Pigment) मिलते हैं, जिनको कैरोटीन नाम दिया गया है और यह वर्णक हमारी छोटी आँत की भित्तियों में विटामिन ए में परिवर्तित हो जाते हैं तथा बाद में यकृत में इकट्ठे हो जाते हैं।
विटामिन ए का रासायनिक नाम Chemical Name of Vitamin A
विटामिन ए एक कार्बनिक यौगिक होता है, जो मानव शरीर में विभिन्न प्रकार की जैव रासायनिक क्रियाओ को संपन्न करने में अपनी भूमिका अदा करता है। विटामिन ए का रासायनिक नाम रेटिनोल है जिसकी खोज होपकिन्स नामक वैज्ञानिक ने 1912 में की। विटामिन ए वास्तव में वसा घुलनशील विटामिन होता है, इसीलिए यह वसायुक्त खाद्य पदार्थों में सबसे अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
विटामिन ए की दैनिक आवश्यकता Daily Requirement of Vitamin A
मानव शरीर को स्वस्थ रखने के लिए तथा विटामिन ए के द्वारा जो भी जैव रासायनिक प्रक्रियाएँ हो रही हैं उनको ठीक प्रकार से सुचारू रूप देने के लिए विटामिन ए की दैनिक आवश्यकता बहुत ही जरूरी होती है, इसलिए विटामिन ए की दैनिक आवश्यकता वयस्कों को 5000I.U. प्रतिदिन दी जानी चाहिए, जबकि दूध पिलाने वाली माता और गर्भावस्था में 6000I.U. - 8000I.U के आसपास दी जानी चाहिए।
विटामिन ए के प्रमुख स्रोत Main source of Vitamin -A
अगर शरीर में विटामिन ए की कमी होती है, तो डॉक्टर विभिन्न प्रकार के विटामिन ए से भरपूर खाद्य सामग्री फल आदि खाने को कहता है और अगर अधिक विटामिन ए की कमी है, तो विटामिन ए की टैबलेट्स तथा कैप्सूल भी देता है। यहाँ पर कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ बताए गए हैं, जो विटामिन ए के प्रचुर मात्रा में स्रोत होते हैं, अगर किसी को भी विटामिन ए की कमी है तो इन खाद्य पदार्थों को ग्रहण करके वह विटामिन ए की कमी को पूरा कर सकता है। विटामिन ए का सबसे प्रमुख स्रोत मछली का यकृत होता है, क्योंकि मछली के यकृत के तेल में विटामिन ए सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है, जबकि अंडे दूध विटामिन ए के अच्छे स्रोत होते हैं। पालक गाजर पुदीना टमाटर केला धनिया पत्ती रतालु लहसुन मीठा नीम पत्ता गोभी पपीता कद्दू आम भी विटामिन ए के अच्छे स्रोत होते हैं वहीं सरसों की भाजी मूली पत्ता शलगम काली मिर्च केराटिन का अच्छा स्रोत होते है।
विटामिन ए की कमी से होने वाले रोग Vitamin A deficiency diseases
- विटामिन ए की कमी होने पर शरीर की विभिन्न प्रकार की बायोलॉजिकल क्रियाएँ होती हैं, उनमें अनियमिताएँ देखने को मिलती हैं, जिससे मनुष्य कई प्रकार से गंभीर रोगों से ग्रसित हो जाता है। विटामिन ए की कमी से सबसे अधिक प्रभाव मनुष्य की आंखों पर पड़ता है, अच्छी दृष्टि के लिए रक्त में विटामिन ए का आना अच्छा माना जाता है, जिससे रेटिना के जो रोडोप्सिन Rodopsin होते है उनका निर्माण लगातार होता रहे और दृष्टि सामान्य बनी रहे।
- इसके अलावा शारीरिक वृद्धि भी विटामिन ए की कमी से रुक जाती है, वहीं रतोंधी नामक रोग भी व्यक्ति में हो जाता है और वह मंद प्रकाश में ठीक से नहीं देख पाता है।
- विटामिन ए की कमी से आंखों की जो एपीथिलियम है वह अधिक प्रभावित होती है, जिससे आंखों में जलन आंखों में खुजली और पलके सूज जाती हैं तथा अश्रु ग्रंथियाँ ठीक प्रकार से कार्य नहीं करती हैं।
- विटामिन ए की कमी से जीरोफ़्थेलमिया (Xerophthalmia) नामक रोग हो जाता है। इस रोग में आंखें लाल हो जाती हैं और आईबॉल पूरी तरीके से सूख जाती है तथा छाले पड़ जाते हैं तब आंखों में धुंधलापन दिखाई देता है।
- किरेटोमेल्कीया (keratomelkia) नामक रोग भी विटामिन ए की कमी के कारण ही होता है, जिसमें आंखों की कॉर्निया पूरी तरीके से नष्ट हो जाती है और व्यक्ति अंधा हो जाता है।
- विटामिन ए की कमी से त्वचा पर भी प्रभाव पड़ता है, त्वचा मोटी दानेदार हो जाती है तथा सूखकर खुरदुरी दिखाई देने लगती है। इस प्रकार की त्वचा को तोड़ स्किन कहते हैं।
- वही विटामिन ए की कमी से हड्डियाँ असमान ढंग से बढ़ने लगती है। प्रजनन क्रिया में अवरोध उत्पन्न होता है, वृद्धि और विकास रुक जाता है, आहार तंत्र श्वसन तंत्र उत्सर्जन तंत्र पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
विटामिन ए की अधिकता से होने वाले रोग Diseases caused by excess of Vitamin A
- विटामिन ए की कमी से विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं और मनुष्य कई प्रकार के रोगों से जूझने लगता है, किंतु शरीर में विटामिन ए सामान्य मात्रा से अधिक हो जाता है, तब भी मनुष्य में कई प्रकार की गंभीर व्याधियाँ देखने को मिलती हैं, जो यहां पर निम्न प्रकार बताई गई है:-
- विटामिन ए की अधिकता से शारीरिक भार में कमी देखने को मिलती है, बालों में रूखापन और सफेदपन दिखाई देता है, आंखों में फोड़े होने लगते हैं और रक्तस्राव अधिक होता है। बार-बार फ्रैक्चर होने जैसी शिकायत भी विटामिन ए की अधिकता के कारण दिखाई देती है।
- विटामिन ए की अधिकता के कारण सिर में पीड़ा होना, हड्डियों और संधियों में दर्द होना, अनियमित रक्तस्त्राव होना तथा प्लाज्मा प्रोथ्रोम्बिन की मात्रा में कमी हो जाना अधिक दिखाई देता है, वहीं रक्त में एस्कोर्बिक एसिड की मात्रा में कमी विटामिन ए की अधिकता के कारण ही होती है।
विटामिन ए के कार्य Function of Vitamin -A
- विटामिन ए का सबसे प्रमुख कार्य होता है उपकलाओं की वृद्धि करना और उनके पोषण में मदद करना, क्योंकि इसकी कमी के कारण उपकलाओं में परिवर्तन कैरोटीन उपकला में हो जाता है, जिससे त्वचा रूखी दिखाई देती है और श्लेष कला में रक्तस्राव अधिक होता है या रुक जाता है।
- विटामिन ए सामान्य शारीरिक वृद्धि के लिए आवश्यक होता है, क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की बायोलॉजिकल क्रियाओ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- विटामिन ए शरीर में संक्रमण होने से बचाता है तथा रोगाणुओं को नष्ट करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका देता है।
- नर पशुओं में शुक्राणु जनन और मादा में स्त्री चक्र के लिए विटामिन ए बहुत महत्वपूर्ण होता है, इसकी अनुपस्थिति में गर्भ में कुरचनाये हो जाती हैं।
- विटामिन ए हड्डी की कोशिकाओं को आकार तथा वृद्धि को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जबकि कोलेस्ट्रॉल के संश्लेषण में भी इसकी भूमिका होती है।
- विटामिन ए कार्बोहाइड्रेट के उपापचय के लिए आवश्यक होता है, जबकि ग्लिसरोल से ग्लाइकोजन बनाने के लिए इसका एक अति आवश्यक उत्प्रेरक के रूप में काम में लाया जाता है।
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