राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी How many wives did king dasaratha had
राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी How many wives did king dasaratha had
हैलो दोस्तों आपका हमारे इस लेख राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी?(How many wives did king dasaratha have) में बहुत बहुत स्वागत है।
दोस्तों आप इस लेख में जानेंगे कि रामायण के प्रमुख पात्र राम के पिता राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी इसके साथ ही आप उन सभी की कहानियों के बारे में जानेंगे कि वे कहाँ की थी?
उनका विवाह कैसे हुआ? आदि तो दोस्तों बने रहिये हमारे इस लेख के साथ और पढ़ते है, राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी?
राजा दशरथ कौन थे who was Raja Dashrath
राजा दशरथ के बारे में तो आप सभी जानते हैं, कि राजा दशरथ कौन थे? राजा दशरथ एक ऎसे रघुवंशी राजा थे। जिन्होंने अपने वचन के लिए अपने प्राण भी त्याग दिए।
राजा दशरथ रघुकुल के महान प्रतापी तथा तेजस्वी राजा थे। वाल्मीकि रामायण के अनुसार राजा दशरथ के पिता का नाम राजा अजा तथा माता का नाम इंदुमती था।
इक्षवाकु कुल में जन्मे राजा दशरथ के पुत्र के रूप में स्वयं नारायण विष्णु भगवान ने राम के रूप में जन्म लिया था।
राजा दशरथ अपनी प्रजा को अपने पुत्रों की तरह प्रेम करने वाले आदर्श राजा थे। महाराजा दशरथ की तीन पत्नियां थी कौशल्या कैकई और सुमित्रा।
राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी how many wives did king dasaratha had
राजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थी जिनमें सबसे बड़ी पत्नी कौशल देश की राजकुमारी कौशल्या दूसरी केकय देश की राजकुमारी कैकई
तथा तीसरी काशी नरेश की राजकुमारी सुमित्रा थी। तीनों रानियों के बारे में निम्न प्रकार विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है:-
कौशल्या रानी की कथा Rani Kaushalya Story
कौशल्या रानी की कहानी - रानी कौशल्या राजा दशरथ की प्रथम पत्नी तथा रामायण की प्रमुख पात्र थी। महारानी कौशल्या कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थी।
इनका जन्म छत्तीसगढ़ में ही हुआ था। महाराजा दशरथ से विवाह करने के पश्चात इनको दो संतान उत्पन्न हुई एक थे। भगवान श्री राम और एक पुत्री थी जिसका नाम था शांता।
रानी कौशल्या के पिताजी का नाम राजा सुकौशल तथा माताजी का नाम अमृतगाथा था। ऐसा माना जाता है, कि कौशल्या आदिति का अवतार थी।
रानी कौशल्या के विवाह की बड़ी विचित्र घटना है. जब राजकुमारी कौशल्या विवाह के योग्य हुई तो उनके पिताजी ने चारों दिशाओं में सुयोग वर खोजने के लिए दूंतों को भेजा
किंतु उसी समय महाराजा दशरथ ने अपना राज्य विस्तार के लिए कौशल देश में प्रस्ताव भेजा की या तो आप राजा दशरथ की अधीनता स्वीकार करें या फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाएँ
सुकौशल राजा ने युद्ध का रास्ता अपनाया और दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें महाराजा दशरथ ने राजा सुकौशल को पराजित कर दिया।
किंतु उन्हें अपने अधीन नहीं किया बल्कि मित्रता का हाँथ बढ़ाया जिससे राजा सुकौशल बड़े ही प्रभावित हुये और उन्होंने इस मैत्री को संबंध में बदलने का प्रयत्न किया तथा अपनी पुत्री कौशल्या का विवाह महाराज दशरथ के साथ कर दिया।
रानी कैकई की कहानी Rani Kaikai story
रानी कैकई की कहानी - रानी कैकई केकय देश की राजकुमारी थी। उनके पिताजी का नाम राजा अश्वपति तथा माता जी का नाम शुभलक्षणा था। कैकई ने भरत जैसे धर्मात्मा पुत्र को जन्म दिया था।
जिसने इतना बड़ा साम्राज्य भातृ प्रेम के कारण तिनके के समान त्याग दिया था। कैकेई बहुत ही सुंदर होने के साथ-साथ वीर भी थी उन्होंने देवासुर संग्राम में महाराजा दशरथ की सहायता भी की थी।
जिससे प्रसन्न होकर महाराजा दशरथ ने उन्हें दो वर मांगने के लिए कहा और कैकई ने समय आने पर मांगने के लिए छोड़ दिया
एक बार जब राजा दशरथ राजा अश्वपति के निमंत्रण पर उनके महल गई तब उनके स्वागत के लिए तैयारियाँ की जा रहीं थी। यहाँ तक की राजकुमारी कैकई स्वयं उनकी स्वागत में लगी हुई थी।
इसके साथ ही नगर की जनता उनके स्वागत की तैयारियाँ कर रही थी। क्योंकि वह सभी जानते थे कि महाराजा दशरथ एक परम प्रतापी राजा हैं।
जो महाराजा हरिश्चंद्र के सामान गुणों में सम्पन्न है जब महाराजा दशरथ ने राजा अश्वपति से राजकुमारी कैकई से विवाह करने का प्रस्ताव रखा।
किंतु महाराजा अश्वपति ने कैकई से विवाह करने की एक ही शर्त रखी कि कैकई का पुत्र ही अयोध्या का उत्तराधिकारी होगा और महाराज दशरथ ने हाँ कर दिया इसके पश्चात राजा दशरथ तथा
कैकई का विवाह हुआ किन्तु कौशल्या कि तरह ही कैकई को संतान उत्पन्न नहीं हुई।
सुमित्रा की कहानी Rani Sumitra story
रानी सुमित्रा की कहानी - रामायण की एक प्रमुख पात्र तथा धैर्य और शांति की प्रतिमूर्ति की रूप में सुमित्रा को ही जाना जाता है। सुमित्रा काशी नरेश की पुत्री थी. जो बड़ी ही सीधी-सादी तथा शांत और सेवा भाव की जीती जगती प्रमाण थी।
जब कौशल्या कथा कैकई से महाराजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी। तब उन्होंने काशी नरेश की पुत्री सुमित्रा से विवाह किया था।
किंतु दुर्भाग्यवश वह भी माँ नहीं बन पायीं रानी सुमित्रा अपनी सबसे बड़ी सौतन कौशल्या के प्रति सेवा भावना और अधिक प्रेम रखती थी। तथा अपना समय उन्हीं की सेवा में व्यतीत करती थी
और उन्हीं के साथ रहा करती थी जबकि महाराजा दशरथ कैकई रानी से अधिक प्यार करते थे और अधिक समय उन्हीं के पास रहा करते थे।
कई वर्षों के बाद भी जब महाराज दशरथ को संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने कामेस्टी यज्ञ करवाया जिसमें से खीर के दो दोने प्राप्त हुये,
जिसमें से एक खीर का दोनों कौशल्या को दिया गया और दूसरा कैकई को दिया गया। जिसमें से कौशल्या तथा कैकई ने अपने-अपने खीर के आधे आधे भाग को सुमित्रा को दे दिया।
जिससे सुमित्रा ने दो महान सेवा भावना से परिपूर्ण पुत्रों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। जबकि कौशल्या ने श्रीराम को और केकई ने भरत को जन्म दिया।
सुमित्रा तीनों रानियों में से सबसे अधिक होशियार और संयम से काम लेने वाली रानी थी। वे हर कार्य सोच समझकर ध्यान से करती थी।
जब भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था तो उन्होंने अपने एक पुत्र लक्ष्मण को भगवान श्री राम की सेवा में प्रस्तुत कर दिया।
जबकि लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला को माता कौशल्या की सेवा में तथा शत्रुघ्न भारत की सेवा में और शत्रुघ्न की पत्नी ऋतुकीर्ति को केकई की सेवा में लगा दिया था। जिससे स्पष्ट होता है, कि महारानी सुमित्रा तीनों रानियों में महान थी।
दोस्तों आपने इस लेख में राजा दशरथ की कितनी पत्नियां थी (How many wives did king dasaratha have) उनके बारे में विस्तार से पड़ा आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।
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