सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं Sindhu ghati sabhyta ki visheshtayen
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं Sindhu ghati sabhyta ki visheshtayen
हड़प्पा सभ्यता की खोज Discovery of Harappan Civilization
मनुष्य का प्रादुर्भाव कई लाख वर्ष पहले हो गया था पहले इंसान जंगलो में जानवर की भांति पेड़ों पर रहता था, फिर बहुत समय पश्चात् उनमें बुद्धि का विकास हुआ और वे पेड़ से उतरकर पिछले पैरों पर चलने लगे.
जानवरों का मास कंद मूल खाने लगे तथा एक साथ मिलकर शिकार करने लगे धीरे - धीरे उन्हें आग का ज्ञान हुआ जिससे उनकी जीवन शैली बदल गयी. कई विधाओं को सीखते गए पहिये का निर्माण हुआ
जिससे वर्तन बनाये जाने लगे और कृषि तथा पशुपालन आरम्भ हो गया तथा मनुष्य कबीलों में समूह बनाकर रहने लगा। इसके पश्चात विभिन्न प्रकार की सभ्यताएँ विकसित होने लगी
जिनमें मोसोपोटामियाँ की सभ्यता (Civilization of mosopotamians) फारस की सभ्यता (Persian Civilization) चीन की सभ्यता (Chinese civilization) आदि थी
इन्ही सभ्यताओं में से एक सभ्यता थी सिंधु घाटी की सभ्यता (Indus Valley Civilization) जिसे सर्वप्रथम हड़प्पा स्थल की खोज होने पर हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाने लगा
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज उस समय हुई जब 1921 में अंग्रेज अधिकारी (English Officer) दयाराम साहनी ने सिंधु प्रान्त रावी नदी के तट पर हड़प्पा (Harappa) स्थल की खुदाई करवाई जिसमें एक बहुत बड़े नगर के ढांचे का अवशेष प्राप्त हुआ
इसके बाद 1922 सिंधु प्रान्त के लरकाना क्षेत्र में सिंधु नदी के तट पर राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो (Mohenjodaro) नामक स्थल का पता लगाया। इसके पश्चात् तो सिंधु सभ्यता से जुड़े विभिन्न स्थानों की खोज होती चली गयी सिंधु
सभ्यता कि सर्वमान्य तिथि 2350 ई. पू. से 1750 ई. पू. मानी गयी है। सिंधु घाटी की सभ्यता का क्षेत्र भी बहुत विशाल था जो लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ था। सिंधु घाटी की सभ्यता उत्तर में कश्मीर के मांडू तक तथा दक्षिण में महाराष्ट्र के दैमाबाद तक फैली हुई थी
जबकि पश्चिम में गुजरात Gujraat के बलूचिस्तान और पूर्व में उत्तर प्रदेश के आलमगीर तक विकसित थी। सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल राखीगढ़ी है जो हिसार हरियाणा में स्थित है।
हड़प्पा स्थल धौलावीरा |
सिंघु घाटी सभ्यता के निर्माता कौन थे who was founder of sindhu ghati sabhyta
सिंघु घाटी सभ्यता के निर्माता कौन थे who was founder of sindhu ghati sabhyta - वर्षो से इस बात पर मतभेद है कि है सिंघु घाटी सभ्यता के निर्माता कौन थे?
कई विचारकों ने अपने अपने विचार प्रस्तुत किये जिनमें लक्ष्मण स्वरूप ने बताया कि सिंघु सभ्यता के निर्माता आर्य Arya थे
जो ईरान से आये थे, जबकि राखालदास बनर्जी सिंघु सभ्यता के निर्माता द्रविड़ मूल के लोगों को बताते है। और व्हीलर ने दास दस्यु को इसका निर्माता बताया।
सिंधु घाटी सभ्यता का सामाजिक जीवन Social life of indus vellay Civilization
सामाजिक जीवन Social lie - हड़प्पा सभ्यता के निवासियों का सामाजिक जीवन बड़ा ही सरल और सुविधापूर्ण और ऐश्वर्यशाली था। सिंधु घाटी सभ्यता के समाज का मुख्य आधार परिवार (Family) था।
सिंधु सभ्यता के निवासी द्रविङ मूल के थे। सिंधु घाटी सभ्यता से प्राप्त कई अवशेषों से पता चला कि इस सभ्यता का समाज मातृसत्तात्मक (Matriarchal) था। यहाँ से मातृ देवी की मूर्ति प्राप्त हुई है।
जबकि मोहनजोदड़ो से कांस्य की मूर्ति प्राप्त हुई है जो एक नृत्यांगना (dancer) की है। सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मांस का और शाक दोनों का सेवन करते थे। सिंघु घाटी सभ्यता से गेहूं, जौ, तिल, दालें मुख्य खाद्यान्न के प्रमाण मिले है।
तथा कुछ जगह से चावल के भी शाक्ष्य प्राप्त हुये हैं।सिंधु सभ्यता में समाज कर्म के आधार पर विद्वान (Scholar) योद्धा (Warrior) व्यापारी (Businessman) और श्रमिक (Labour) में बंटा हुआ था।
यहाँ के लोग बहुमूल्य धातुओं से बने आभूषण (jewelery) भी पहनने के शौकीन थे। सोने चांदी तांबा, हाँथीदाँत आदि से बने हुए आभूषण स्त्री तथा पुरुष दोनों धारण किया करते थे।
सिंधु घाटी सभ्यता की मनका बनाने की फैक्ट्री (bead making factory) चन्हूदडो Chanhundado नामक स्थान पर स्थित थी।
चाक पर रखकर आग में पकी मिट्टी से बर्तन बनाए जाते थे, जिसे टेराकोटा (Terracotta) के नाम से जाना जाता था। सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग मछली पकड़ना Fishing शिकार करना Hunting जुआ खेलना Gambling आदि शौक रखते थे।
सिंधु घाटी सभ्यता का धार्मिक जीवन Religious Life of Indus Valley Civilization
धार्मिक जीवन Religious life - सिंधु सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) के लोगों का धार्मिक जीवन पुराने रीति-रिवाज, कर्मकांड मान्यताओं और धार्मिक रूढ़ियों से संबंधित था।
यहाँ पर लोग विभिन्न प्रकार के ताबीज धागे आदि धारण किया करते थे। उन ताबीजों पर पशु पूजा, वृक्ष पूजा, पशुपति, मातृदेवी आदि के चित्र भी अंकित रहते थे।
सिंधु सभ्यता के लोग मातृशक्ति में सबसे अधिक विश्वास किया करते थे। लोग मातृ देवी और पशुपति शिव की मूर्तियाँ बनाते थे और उनकी आराधना किया करते थे।मोहनजोदड़ो से पशुपति शिव की मूर्ति भी प्राप्त हुई है।
जिसमें दाएँ तरफ चीता और हाथी तथा बाई और गेंडा और भैंसा का चित्र अंकित किया गया है, तथा नीचे दो हिरन भी बैठे हुए हैं और सिर पर एक त्रिशूल है। हड़प्पा सभ्यता के लोग लिंग पूजा भी किया करते थे।
सिंधु सभ्यता के लोग अंधविश्वास, जादू टोने में विश्वास करते थे, वे कई अवसरों पर ओझा आदि का सहारा लेते थे, यहाँ कई स्थानों से हवन के शाक्ष्य भी प्राप्त हुये है।
सिंधु घाटी सभ्यता का आर्थिक जीवन Economic Life of Indus Valley Civilization
आर्थिक जीवन Economical life - हड़प्पा सभ्यता (सिंधु घाटी सभ्यता) के निवासियों का आर्थिक जीवन बढ़ा ही सीधा और सरल था। यहाँ पर वस्तु विनिमय प्रणाली (barter system) प्रचलित थी। सिंघु सभ्यता में उपजाऊ की जाने वाली फसने प्रमुख रूप से नौ फसलें थी।
जिनमें गेंहू, जौ के साथ कपास, तरबूज और मटर भी उपजाए जाते थे। यहाँ पर हल का भी प्रयोग जुताई के लिए किया जाता था, जिसके साक्ष्य भी प्राप्त हुये है।
किन्तु फावड़े आदि का यहाँ पर कोई प्रमाण नहीं मिला।कालीबंगा (राज्यस्थान) नामक स्थान से हल रेखा का साक्ष्य तथा सिंचाई का साक्ष्य धौलावीरा नामक स्थान से प्राप्त होता हुआ है।
सिंधु सभ्यता के लोग तांबा और टिन से मिश्रित धातु कांस्य का निर्माण करते थे, जिससे विभिन्न प्रकार के आभूषण और बर्तनों का निर्माण कई पुरानी पद्धतियों के द्वारा किया जाता है ।
सिंधु सभ्यता के समय खेतड़ी राजस्थान से तांबा आयात किया जाता था। कांस्य का अधिक उपयोग होने इसे कांस्य सभ्यता भी कहा जाता है। यहाँ पर कई कलाओं बड़ाईगिरी, शिल्पकला, मिट्टी से बर्तन बनाना आदि कई शिल्पकलाओ का विकास था।
सिंधु घाटी सभ्यता की नगर योजना City plan of the Indus Valley Civilization
नगर योजना City plan - सिंधु सभ्यता का उत्खनन होने के बाद पता चला कि सिंधु सभ्यता के नगरों के जो अवशेष प्राप्त हुये है बे दो भागों से मिलकर बने हुये है।
ऊपरी दुर्ग और निम्न भाग जिनमें ऊपरी भाग दुर्ग होता था, जिसमें बड़ी-बड़ी राजकीय इमारतें (State buildings) कार्यालय (Office) राजकीय घराने, और भंडार कक्ष होते थे।
जबकि निम्न भागों में छोटे भवन बने होते थे. बड़ी-बड़ी पक्की सड़कें नालियों को समकोण पर काटती थी। नालियाँ पक्की ईंटो से बड़ी बनायीं जाती थी, जो ऊपर से बंद होती थी।
यहाँ के घरों का विन्यास ग्रीड पद्धति (Grid system) के आधार किया गया था। प्रत्येक घर में स्नानागार और अन्नागार होते थे तथा पानी का निकास पाइप लाइनों के द्वारा नालियों में किया जाता था।
विशाल स्नानागार मोहजोदडो से प्राप्त हुआ है, जिसकी लम्बाई 11.8 मीटर चौड़ाई 7.01 मीटर तथा गहराई 2.43 मीटर है।
जिसका प्रयोग अनुष्ठान यज्ञ धार्मिक कार्य आदि के समय किया जाता था। सिंधु घाटी सभ्यता के अब तक लगभग 1400 नगरों को खोजा जा चुका है, जिसमें से 925 के आसपास भारत में स्थित हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की लेखन और लिपि Writing and Script of Indus Valley Civilization
लेखन और लिपि Writing and script - सिंधु घाटी सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता ) के निवासियों को लेखन और पठन का भी ज्ञान था, किन्तु यहाँ का लेखन अभी तक पढ़ा नहीं जा सका। सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि चित्रात्मक (Pictorial) है, जिसे बंडोफ्रेडम लिपि (Bandofredum script) भी कहा जाता है।
जिसमें लगभग 65 मूलचिन्ह और लगभग 400 तक चित्राक्षर थे। इन अक्षरों का प्रयोग लेखन के लिए सेलखड़ी की आयताकार मुद्राओं पर ताम्बे की गुटिकाओं पर किया जाता था।
सिंधु घाटी की सभ्यता की लिपि का लेखन बाई ओर से दाईं ओर किया जाता है. जिसमें सबसे अधिक प्रयोग किया जाने वाला अक्षर U और सबसे अधिक चिन्ह मछली का प्रयोग हुआ है. इस लिपि का सबसे पहले नमूना 1853 में मिला था। तथा 1923 तक पूरी लिपि सामने आ गयी।
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कारण Reasons for the decline of the Indus Valley Civilization
पतन के कारण Due to the decline - सिंधु सभ्यता इतनी विशाल और विकसित सभ्यता थी, जो नदियों के किनारे तथा उपजाऊ ज़मीन पर बसी थी, किंतु अचानक ही यह ना जाने कैसे लुप्त हो गई है।
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के क्या कारण थे, इस बात पर विभिन्न वैज्ञानिकों में मतभेद है।
सिंधु सभ्यता 1800 ई•पू• पूर्णता नष्ट हो गयी जिसके लुप्त होने के या पतन के कई कारण वैज्ञानिकों ने बताए हैं, जिनमें प्रमुख निम्न है:-
आर्यों का आक्रमण - कई इतिहासकारों विचारकों तथा वैज्ञानिकों ने जिसमें भीलर, स्टुअर्ट, गार्डन, चाइल्ड ने सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का मुख्य कारण आर्यों का आक्रमण बताया है।
बाढ़ - कुछ वैज्ञानिक जैसे - मार्शल. मैके एस.आर.राव ने सिंधु घाटी के पतन का मुख्य कारण बाढ़ (Flood )को बताया है।
जबकि जलवायु परिवर्तन ए. एन. घोष ने जलप्लावन,एम. आर. साहनी ने महामारी,कैनेडी ने बीमारी परिस्थिति असंतुलन फेयर सर्विस ने आदि के साथ विभिन्न वैज्ञानिकों ने पतन के कई कारण बताए हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल Major sites of the Indus Valley Civilization
हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल Major site- हड़प्पा सभ्यता में कई स्थल है जिनमें खोजें गए प्रमुख स्थल निम्न प्रकार है:-
- हड़प्पा - इस स्थल की खोज अंग्रेज अधिकारी दयाराम साहनी ने 1921 में की थी, जो रावी नदी के किनारे मोंटमोगरी पाकिस्तान में स्थित है। यहाँ से ताम्बे की इक्कागाड़ी, अन्नागार मुहरें, आदि साक्ष्य मिले है।
- मोहनजोदड़ो - मोहनजोदड़ो नामक स्थान की खोज राखलदास बनर्जी के द्वारा 1922 में की गयी थी। जो सिंधु नदी के किनारे पर लरकाना पाकिस्तान में स्थित है। यहाँ से पशुपति, नर्तकी की कांस्य मूर्ति. सूती वस्त्र अन्नागार स्नानागार प्राप्त हुये है।
- चन्हूदडो - चन्हूदड़ो की खोज एम.जी.मजूमदार ने सन 1931 में की थी। जो सिंधु प्रान्त के सिंध पाकिस्तान में सिंध नदी के पास स्थित है। यहाँ से मनका बनाने के कारखाने, ईंट पर बिल्ली का पीछा करते कुत्ते के निशान आदि साक्ष्य मिले है।
- कालीबंगा - कालीबंगा नामक स्थान की खोज बी. बी.लाल एवं वीके थापर ने सन 1953 में की थी। यह स्थान घग्गर (सरस्वती) नदी के किनारे श्रीगंगानगर राजस्थान में स्थित है। यहाँ से जूते हुये खेत. मिट्टी का हल हवन कुंड ईंटे आदि के साक्ष्य प्राप्त हुये है।
- रंगपुर - रंगपुर स्थान की खोज रंगनाथ राव के द्वारा 1953 में की थी, रंगपुर भादर नदी के किनारे गुजरात काठीयाबाड़ में स्थित है। यहाँ से गेंहूँ की खेती, चावल की भूसी, के साक्ष्य मिले है।
- रोपड़ - रोपड़ स्थान की खोज यज्ञदत्त शर्मा ने 1953 में की थी जो सतलज नदी के किनारे रोपड़ पंजाब में स्थित है। यहाँ से मानव के साथ कुत्ते दफनाने के साक्ष्य प्राप्त हुये है।
- लोथल - लोथल नामक स्थान की खोज रंगनाथ राव ने 1955 ईस्वी में की थी जो भोगवा नदी के किनारे अहमदाबाद गुजरात में स्थित है। यहाँ से बंदरगाह हाँथीदाँत युग्म शवाधान आदि के साक्ष्य मिले है।
- बनावली - इस स्थान की खोज रविंद्र सिंह विष्ट ने 1974 में की थी यह स्थान रंगोई नदी के किनारे हिसार हरियाणा में स्थित है. यहाँ से मिट्टी का हल प्राप्त हुआ है।
- कोटदीजी - फजल अहमद ने कोजदीजी की खोज 1953 में की थी जो सिंधु नदी के किनारे खैरपुर पाकिस्तान में स्थित है यहाँ से पत्थर के वाण मिले है।
सिंधु घाटी सभ्यता प्रश्नोत्तरी Sindhu ghati sabhyta Prashnottari
Q.1. हड़प्पा सभ्यता में शीशा कहाँ से आयात किया जाता था
उत्तर. राजस्थान
Q. 2. मोहनजोदड़ो से प्राप्त स्नानागार की लंबाई है
उत्तर. 11.8 मीटर
Q. 3. सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण बाढ़ है यह किस वैज्ञानिक ने कहा
उत्तर. मार्शल ने
Q. 4. हड़प्पा सभ्यता में प्राप्त लिपि लिखी जाती है
उत्तर. बाएं से दाएं
Q. 5. हड़प्पा कालीन स्थल धोलावीरा कहाँ स्थित है?
उत्तर. गुजरात में
Q. 6. हड़प्पा कालीन लिपि में कितने मूलचंद हैं?
उत्तर. 65
Q. 7. हड़प्पा निवासियों ने घरों के विन्यास की कौन सी पद्धति अपनाई
उत्तर. ग्रीड पद्धति
Q. 8. मोहनजोदड़ो का अर्थ क्या है?
उत्तर. मुर्दों का टीला
Q. 9. यूनानियों ने कपास को क्या नाम दिया?
उत्तर. सिंडोन
Q. 10. सिंधु कालीन लोग ताँबा कहां से मंगाया करते थे
उत्तर. खेतड़ी
Q. 11. सिंधु सभ्यता से प्राप्त पशुपति शिव की मूर्ति में नीचे की ओर कौन बैठा है?
उत्तर. दो हिरण
Q. 12. सिंधु कालीन सभ्यता का समाज कैसा था
उत्तर. मातृसत्तात्मक
Q. 13. दयाराम साहनी ने खोज की थी?
उत्तर. हड़प्पा स्थल की
Q. 14. मनके बनाने की फैक्ट्री प्राप्त हुई है?
उत्तर. चन्हूदडो से
Q. 15. आग में पक्की मिट्टी को क्या कहा जाता था
उत्तर. टेराकोटा
दोस्तों आपने इस लेख में सिंधु घाटी सभ्यता प्रश्नोत्तरी Class 8 (Sindhu Ghati sabhyta Prashnottari) तथा सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास पढ़ा आशा करता हूँ, यह लेख आपको अच्छा लगा होगा कृपया इसे अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।
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