कुषाण वंश का संस्थापक कौन था Kushan vansh ka sansthapak kaun tha

कुषाण वंश का संस्थापक कौन था Kushan vansh ka sansthapak kaun tha 

हैलो नमस्कार दोस्तों आपका बहुत-बहुत स्वागत है, आज के हमारे इस लेख कुषाण वंश का संस्थापक कौन था (Who was founder of kushan dynesty) में। दोस्तों इस लेख में

आप कुषाण वंश का इतिहास, कुषाण वंश के शासक, कुषाण वंश का प्रशासन, तथा कुषाण वंश के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

यह जानकारी किसी भी प्रतियोगी परीक्षा (Competition) के लिए अधिक महत्वपूर्ण साबित होगी। तो आइए दोस्तों करते हैं आज का यह लेख शुरू कुषाण वंश का संस्थापक कौन था:-

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कुषाण वंश का संस्थापक कौन था


कुषाण वंश का इतिहास History of Kushan Dynasty

कुषाण वंश का इतिहास (History of kushan dynesty) वर्षों पुराना है, जो चीन से प्रारंभ होकर अफगानिस्तान, होता हुआ भारत तक पहुँच जाते हैं। कुषाण वंश का संपूर्ण इतिहास निम्न प्रकार से हैं:- 

कुषाण कौन थे who was kushan 

कुषाण कौन थे? इसके बारे में कई विद्वानों के बीच में मतभेद है। कुछ विद्वानों का कहना है, कि कुषाण शकों या सीथियन की एक अलग शाखा है।

क्योंकि शको और कुषाणों के नामों के अंतिम अक्षरों में कुछ समानता देखने को मिलती है। जबकि कुछ अन्य विद्वानों ने तर्क दिए हैं कि कुषाण तुर्क शासक थे।

परन्तु अधिकतर विद्वानों का यही मानना है, कि कुषाण चीन की यू-ची जाति से सम्बन्ध रखते है जो पाँच कबीलो में बंटी थी। कुषाण वंश की राजधानी पुरुषपुर पेशावर थी। 

कुषाण वंश का संस्थापक कौन था Kushan vansh ka sansthapak kaun tha 

कुषाण वंश का संस्थापक और प्रथम शासक कुजूल कैडफिसेस था। कुजूल कैडफिसेस ने यू-ची जाति जो 5 शाखाओं में विभक्त हो गई थी पर अपना आधिपत्य जमाया और कुषाणों को शक्तिशाली बनाया।

कुजूल कैडफिसेस प्रारम्भ में यूनानी शासकों के अधीन रहा करता था, किंतु बाद में यूनानी शासकों की दुर्बलता का लाभ उठाकर कुजूल कैडफिसेस ने स्वतंत्र कुषाण वंश (Kushan dynesty) की स्थापना कर दी और उसका प्रथम शासक बना। 

कुषाण वंश के शासक Kushan vansh ke shasak 

कुषाण वंश के कई प्रतापी शासक हुए जिन्होंने कुषाण वंश को सफलता की बुलंदियों तक पहुँचाया उनका वर्णन निम्नप्रकार से है:- 

कुजूल कैडफिसेस Kuzul Cadphys 

कुजूल कैडफिसेस कुषाण वंश का संस्थापक और प्रथम शासक था, जिसने कुषाण वंश की नींव डाली। कुजूल कैडफिसेस ने राज्य विस्तार के लिए यूनानी शासकों पर अधिकार किया,

पार्थिया पर आक्रमण करके उसे अपने राज्य में मिला लिया। पल्लव शासकों की निर्बलता का लाभ उठाकर उन पर विजय प्राप्त की।

कुजूल कैडफिसेस ने अपने साम्राज्य में काबुल घाटी, पूर्वी ईरान बैकट्रिया, गांधार जैसे प्रदेशों को शामिल कर लिया था।

कुजूल कैडफिसेस ने लगभग 80 वर्ष तक शासन किया और कुषाण साम्राज्य को एक मजबूत शासन के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विम कैडफिसेस Vim cadphys

कुजूल कैडफिसेस के बाद विम कैडफिसेस कुषाण वंश का दूसरा शासक था, जो स्वयं कुजूल कैडफिसेस का पुत्र था। यह भी अपने पिता के समान वीर महत्वकांक्षी शासक हुआ करता था।

जिसे चीनी ग्रंथों में भारत विजेता के नाम से भी जाना जाता है। चीनी ग्रंथों में इस बात की पुष्टि होती है, कि भारत में कुषाण वंश की नींव डालने वाला पहला शासक विम कैडफिसेस ही था।

उनका शासन मथुरा तक फैला हुआ था। विम कैडफिसेस ने शैव धर्म को ग्रहण कर लिया था उसकी मोहरों पर शिव और नंदी की आकृति भी उत्कीर्ण मिलती है।

कनिष्क प्रथम Kanishka I

विम कैडफिसेस की मृत्यु के पश्चात कुषाण वंश में कोई योग्य शासक नहीं था। जिस कारण से कुषाण वंश का इतिहास कुछ समय के लिए अंधकार में हो गया।

इसके बाद कुषाण वंश के जीते हुए स्थानों पर कई प्रांतीय शासकों ने शासन किया। कुषाण वंश को फिर से विश्व के पटल पर लाने का श्रेय कनिष्क प्रथम को जाता है। किंतु कनिष्क प्रथम कौन था?

उसके पिता का नाम क्या था? अभी भी इस विषय पर विद्वान एकमत नहीं है। किंतु यह निर्णय अवश्य हो चुका है, कि कनिष्क प्रथम यू- ची जाति से ही संबंध रखता है।

कनिष्क 248 ई. में राज सिंहासन पर बैठा था। कनिष्क प्रथम कुषाण वंश का एक महान शासक था। कियोकि कुषाण वंश की महान उपलब्धियों का श्रेय कनिष्क प्रथम को ही जाता है।

कनिष्क ने अपने जीवन में कई युद्ध किए जिनमें प्रमुख पार्थिया, रोमन साम्राज्य और चीन से युद्ध था। कनिष्क ने अपना साम्राज्य चीनी तुर्किस्तान, बैक्ट्रीया,

अफगानिस्तान, गांधार, सिंध, कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, मगध,  बंगाल, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि क्षेत्रों तक फैला दिया था।

कनिष्क ने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को अपनाया और उसका प्रचार प्रसार किया कनिष्क के शासनकाल में ही चतुर्थ बौद्ध संगीति कश्मीर कुंडलबन में आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता वसुमित्र ने की।

कनिष्क का संपूर्ण जीवन निरंतर युद्ध में ही व्यतीत हो गया उसने लगभग 45 वर्ष तक राज्य किया था। कनिष्क ने 78 ई. में शक संवत शुरू किया।

लगातार युद्ध की घटनाओं से परेशान होकर कनिष्क के सेनापतियों ने ही कनिष्क की हत्या कर दी। 

कुषाण वंश का अंतिम शासक कौन था who was the last ruler of Kushan dynasty

कनिष्क के बाद जो कुषाण वंश के शासक हुए वह शासक दुर्बल और आयोग्य शासक थे। कनिष्क के बाद वसिष्क को शासक बनाया गया।

और वसिष्क के बाद उसका उत्तराधिकारी हूवीष्क शासक बना। इसने कुछ लम्बे समय तक शासन किया। हूवीष्क के बाद वसुदेव शासक हुआ।

वसुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था। अपनी आयोग्यता, निर्बलता के कारण वसुदेव की मृत्यु हो गई और कुषाण वंश पतन की ओर अग्रसर होता गया तथा कुषाण वंश का पतन हो गया। 

कुषाण वंश का प्रशासन Administration of the Kushan Dynasty

कुषाण वंश का शासन अत्यंत विशाल था, किंतु कनिष्क प्रथम के शासक बनने के बाद कुषाण वंश ने उपलब्धियों की चरम सीमा को ही पार कर दिया।

कनिष्क प्रथम के समय कई क्षेत्र कुषाण वंश के अधीन थे। कुषाण वंश के शासकों के द्वारा जीते गए इन प्रदेशों पर छोटे-छोटे राजा शासक कुषाण वंश की अधीनता में राज्य करते थे। 

सारनाथ अभिलेख से यह ज्ञात होता है, कि कुषाण शासन प्रांतीय क्षत्रपों के द्वारा चलाया जाता थी। इस शासन का स्वरूप सैन्य हुआ करता था। कुषाण वंश के प्रशासन के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। 

कुषाण वंश के बारे में अन्य जानकारी Other information about Kushan dynasty

  1. चतुर्थ बौद्ध संगीति कुंडलवन कश्मीर में हुई थी जिसके अध्यक्ष वसुमित्र तथा उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। 
  2. कनिष्क ने महाराज, राजाधिराज और देवपुत्र जैसी उपाधियाँ ग्रहण की थी। 
  3. कुषाण वंश द्वारा रोमन साम्राज्य को काली मिर्च, रेशम मलमल, सूती वस्त्र आदि निर्यात किए जाते थे।
  4. कुषाण वंश में गांधार कला और मथुरा कला को अधिक महत्व और संरक्षण प्राप्त हुआ था। 
  5. कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध धर्म की महायान शाखा को अधिक महत्व प्राप्त हुआ और बौद्ध और बोधिसत्व की प्रतिमाओं को पूजा की जाने लगी।
  6. कामसूत्र की रचना वात्सायन के द्वारा कुषाण काल में ही की गई थी।
  7. अश्वघोष कुषाण वंश के शासक कनिष्क के दरबार में रहता था वह राजकवि होने के साथ उच्च कोटि का नाटककार, संगीतज्ञ, बौद्ध दार्शनिक भी था। उसने बुधचरित्र की रचना की। 
  8. वसुमित्र ने महाविभासाशास्त्र नामक बौद्ध जातकों पर टीका नामक ग्रंथ लिखा जिसे बौद्ध धर्म का विश्वकोष कहा जाता है।
  9. चरकसंहिता के जनक और रचनाकार चरक ने कुषाण वंश के शासन काल में ही चिकित्सा संबंधी विधियाँ रोग  निवारक औषधियों का वर्णन किया वे कनिष्क के राजवैध थे। 
  10. शून्यवाद का विचार देने वाले तथा भारत का आइंसटीन कहे जाने वाले नागार्जुन कुषाण वंश में ही थे। 

कुषाण वंश क्वेश्चन आंसर Kushan vansh question answer

यहाँ पर कुषाण वंश से सम्बंधित प्रश्न उत्तर महत्वपूर्ण कुषाण वंश क्वेश्चन आंसर दिए है:- 

Q.1. कुषाण किस जाति से संबंध रखते थे

A. यु-ची

B. तोखरी

C. वांग-चु

D. A और B दोनों

उत्तर. D. A और B दोनों

Q. 2. यु-ची क्या था

A. कबीला

B. संप्रदाय

C. धर्म

D. आजीवक

उत्तर. D. कबीला

Q. 3. यु-ची काबीला कितने कुलों में बंटा था 

A. 4

B. 6

C. 5

D. 3

उत्तर. C. 5

Q. 4.कुषाण वंश की राजधानी थी 

A. श्रीनगर

B. अफगानिस्तान

C. पेशावर

D. दिल्ली

उत्तर. C. पेशावर

Q. 5. कनिष्क ने कौन सा संवत चलाया था

A. कनिष्क संवत

B. कुषाण संवत

C. विक्रम संवत

D. शक संवत

उत्तर. D. शक संवत

Q. 6. कनिष्क की मृत्यु कब हुई

A. 104 इसी पूर्व

B. 105 ईसवी पूर्व

C. 102 ईसवी पूर्व

D. 101 ईसवी पूर्व

उत्तर. C. 102 ईसवी पूर्व

Q. 7. कुषाण राजाओं को कहा जाता था

A. राजपूत्र

B. देवपुत्र

C. सम्राट

D. इनमें से कोई नहीं

उत्तर. B. देवपुत्र

Q. 8. कुषाण शासक विम कैडफिसेस किसका पुत्र था

A. कुजूल कैडफिसेस का

B. कनिष्क प्रथम का 

C. हूवीष्क का 

D. इसमें से कोई नहीं

उत्तर. A. कुजूल कैडफिसेस का

दोस्तों आपने इस लेख में कुषाण वंश का संस्थापक कौन था? (who was founder of kushan dynesty) कुषाण वंश का इतिहास पड़ा। आशा करता हुँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा।

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